राज ठाकरे की पार्टी घुसपैठियों को खदेड़ने को लेकर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है
जहाँ एक तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सीएए का समर्थन और एनआरसी के विरोध के बीच पेंडुलम बन कर झूल रहे हैं, राज ठाकरे ने विदेशी घुसपैठियों के ख़िलाफ़ अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और कहा है कि उन्हें खदेड़े बिना देश का कल्याण नहीं हो सकता। अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ का झंडा भगवा रंग का करने वाले राज ठाकरे की पार्टी हिंदुत्ववादी मुद्दों पर वही रुख रख रही है, जैसा कॉन्ग्रेस और एनसीपी से गठबंधन से पहले शिवसेना का था। अब शिवसेना इस मामले में फँस गई है और कभी इधर तो कभी उधर की बातें कर के हिंदुत्ववादी छवि भी बचाना चाहती है और साथ ही सत्ता की मलाई भी चाभना चाहती है।
महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े महानगर पुणे में मनसे कार्यकर्ताओं ने एक अभियान शुरू किया है। उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र में राज ठाकरे के कार्यकर्ता अब घुसपैठियों को चिह्नित कर उन्हें खदेड़ने में लगे हुए हैं। मनसे उन क्षेत्रों को चिह्नित कर रहे हैं, जहाँ बांग्लादेशी लोग रहते हैं। वहाँ राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ता जाकर उनसे नागरिकता के सबूत माँग रहे हैं। धनकवड़ी इलाक़े में बड़ी संख्या में लोग किराए पर रहते हैं, जहाँ मनसे कार्यकर्ताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है और लोगों से अपनी नागरिकता साबित करने को कही है।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि मनसे कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस अधिकारी भी रहते हैं, जो लोगों द्वारा दिखाए गए कागज़ातों की सत्यता की जाँच करते हैं। मनसे के पुणे प्रमुख अजय शिंदे ने भी पार्टी के इस अभियान की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पार्टी लगातार ऐसे लोगों पर नज़र रखे हुए है, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों वाले इलाक़ों में रखते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन ने साथ नहीं दिया तो पार्टी ‘अपने स्टाइल में’ आंदोलन करेगी।
शनिवार (फरवरी 22, 2020) की सुबह भी मनसे कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ मिल कर जाँच अभियान चलाया और लोगों से पूछताछ की। जाँच के दौरान एक युवक के पास से 2 वोटर आईडी कार्ड मिले, जिसे लेकर मनसे कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन पहुँचे।
इसी साल 9 फरवरी को मनसे ने सीएए और एनआरसी के समर्थन में विशाल रैली आयोजित की थी। राज ठाकरे ने चेतावनी दी थी कि देश को साफ़-सुथरा बनाने के लिए घुसपैठियों को खदेड़ना ज़रूरी है। उन्होंने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ हिंसक विरोध प्रदर्शन में संलग्न उपद्रवियों को करारा जवाब देने की भी बात कही थी। 13 फरवरी को मुंबई के बोरीवली ईस्ट चीकुवाड़ी में धरना देते हुए मनसे नेताओं ने आरोप लगाया था कि इस क्षेत्र के लोगों की पोशाक एवं बोली बांग्लादेशियों जैसी है।
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