पुलवामाः देशद्रोही राहुल गांधी, जेल की सलाखें हैं उनकी जगह


कल पुलवामा की पहली बरसी थी। पूरा देश पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा था। गमगीन माहौल में एकबार फिर से सबसे बड़ा गैर जिम्मेदाराना, पाकिस्तान और आतंकियों का समर्थन करने वाला बयान आया राहुल गांधी की ओर से। इसके बाद सीताराम येचुरी, मोहम्मद सलीम से लेकर विपक्ष के नेताओं में वीर जवानों की शहादत पर राजनीति करने का खेल शुरु हो गया। देश में राहुल गांधी को कोई सीरियसली नहीं लेता, परंतु उनके बयान पाकिस्तान को भारत के खिलाफ बिसात बिछाने का मौका जरुर दे देते हैं।

पुलवामा की पहली बरसी पर भी राहुल गांधी ने पाकिस्तान की बांछें खिलाने वाला बयान देते हुए पूछा कि पुलवामा हमले से सबसे ज्यादा फायदा किसको हुआ। जाहिर है कि उनका निशाना मोदी और भाजपा है और विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोलकर उसे लाभ पहुंचाने की कोशिश करते हैं। उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी कांग्रेस सहित देश की तमाम विपक्षी पार्टियां इस स्ट्राइक के सबूत मांग कर देश की सेना के शौर्य को कलंकित कर रही थी। सरकार से वाजिब सवाल करने का अधिकार विपक्ष को है, परंतु यहां तो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को तोड़ने वाले बयान दिये जाते हैं। देश के दुश्मनों के साथ जाकर पूरा विपक्ष खड़ा हो जाता है।

अमेरिका में भी 9/11 का हमला हुआ, वहां के किसी भी विपक्षी नेता ने सरकार या देश विरोधी बयान नहीं दिया। सारा अमेरिका एकजुटता के साथ खड़ा था। हमले के मास्टरमांइड ओसामा बिन लादेन सहित सारे आतंकियों को खोज-खोज कर मारा गया। आज तक उस घटना के अपराधियों के खिलाफ अमेरिका की जंग जारी है। पहले राष्ट्रपति बुश थे, बाद में क्लिंटन, ओबामा और अब डोनाल्ड ट्रंप हैं, परंतु देश के दुश्मनों के खिलाफ अमेरिका की नीति नहीं बदली, पार्टियां और नेता भले ही बदल गये हों। भारत में विपक्ष, खासकर कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां मोदी और सरकार के विरोध के नाम पर हमेशा देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ी हो जाती है।


चाहे वो पाकिस्तान हो, जेएनयू में भारत से आजादी के नारे लगाने वाली टुकड़े-टुकड़े गैंग हो, कश्मीर से धारा 370 हटने का मामला हो, तीन तलाक बिल हो, शाहीनबाग या जामिया मिलिया हो या फिर भारत से पूर्वोत्तर क तोड़ने का मंसूबा रखने वाला देशद्रोही सर्जिल इमाम हो। ऐसे अनेकोनेक उदाहरण है, जब पीएफआई या इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठनों के साथ कांग्रेस, वामपंथी अथवा अन्य विपक्षी दलों की सांठगांठ नजर आयी। देश में मोदी विरोध के नाम पर देशद्रोह चल रहा है। राहुल गांधी के बयान भी देशद्रोह के दायरे में आते हैं। पुलवामा पर राहुल गांधी के इस शर्मनाक और देश विरोधी बयान के लिये उन पर देशद्रोह का मुदमा चलाया जाना चाहिये।

वाक् स्वाधीनता के नाम पर देश की बार- बार खिलाफत की इजाजत कैसे दी सकती है। गौरतलब है कि एक कायराना हमले में ठीक एक साल पहले पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हमला किया, जिसमें सीरपीएफ के चालीस जवान शहीद हो गये। देश में जवानों की इस शहादत को लेकर भारी गुस्सा था, मोदी सरकार ने देश और एक मजबूत सरकार के अनुरूप ही दुश्मनों को उनके इस कायराना हमलें का जवाब दिया। पाक अधिकृत कश्मीर में बालाकोट में चल रहे आतंकी शिविरों पर हमला कर उन्हें न सिर्फ ध्वस्त कर दिया, बल्कि 300 से अधिक आतंकियों को जहन्नुम पहुंचा दिया।

भारत की शक्तिशाली वायुसेना से इस वीरतापूर्वक कार्य को अंजाम दिया। इससे पहले भी उरी में हुये आतंकी हमले के बाद सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर सीमापार चल रहे आतंकी लांच पैडों को तबाह कर एक बड़ी कार्रवाई की थी। भारतीय सेना का शौर्य लाजवाब है और पीएम मोदी की राजनीतिक इच्छा शक्ति भी। आपसी मतभेद बहुत से मामलों पर मेरे भी हैं मोदी सरकार से, परंतु देशहित में सदैव उनके और भारत की महान सेना के साथ हूं। पुलवामा सहित देश क समर्पित सभी वीरो को नमन्।

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