अब मानना पड़ेगा कि बाला साहब ठाकरे मरे नहीं वो राज ठाकरे के रूप में अभी भी जिंदा हैं.. वही सोच , वही जोश ,वही भाषा ,वही तेवर, वही मिजाज , वही चेहरा वही अंदाज।
भाषण देने की शैली से लेकर हिंदुत्व की राजनीति तक, राज ठाकरे में बाला साहेब के सारे गुण मौजूद हैं
महाराष्ट्र! नए हिन्दू हृदय सम्राट को गले लगाने के लिए तैयार हो जाओ
वर्ष 1993 में जब आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की धमकी दी थी, तो स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे ने कहा था
“अगर अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ और यात्रा रोकी गई, तो वो मुंबई से हज के लिए जाने वाली किसी भी उड़ान को उड़ने नहीं देंगे। हज के लिए जाने वाली 99% फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट से जाती हैं, देखते है यहाँ से कोई यात्री हज कैसे जाता है”।
उनके इस बयान के अगले ही दिन अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी थी। हमेशा हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले बाला साहेब के कुछ इसी तरह के बयान ही थे, जिन्होंने उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट बनाया था। वे हमेशा हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए उग्र बयान देने से भी पीछे नहीं हटते थे। वर्ष 2012 में जब उनका निधन हुआ, तभी से महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा खालीपन देखने को मिला है। हालांकि, अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानि MNS प्रमुख राज ठाकरे उनका यह खालीपन भरने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, और शिवसेना के ‘सेकुलरीकरण’ ने उनको एक अच्छा मौका प्रदान किया है।
शिवसेना द्वारा NCP और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद से ही MNS प्रमुख लगातार हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अपने झंडे का रंग बदलकर भगवा करना हो, या फिर हाल ही में बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ एक बड़ी रैली का आयोजन करना हो, उन्होंने कई मौकों पर बाला साहेब की राजनीति के तौर-तरीकों का अनुसरण करने की कोशिश की है।
घुसपैठीयों को लेकर बाला साहेब ठाकरे का भी यही मत था कि इन्हें देश से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। एक बार बाला साहेब ठाकरे ने कहा था
“ये घुसपैठिए ही भारत में धर्म के नाम पर घृणा फैलाते हैं। यही लोग देश में सांप्रदायिक दंगे भी भड़काते हैं। हम क्यों उनका बोझ ढोएं? ये गैरकानूनी तरीके से भारत में घुसने वाले बांग्लादेशी नागरिक ही भारतीय मुस्लिमों की छवि खराब कर रहे हैं। यही विदेशी घुसपैठिए उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं”
बिना किसी हिककिचाहट के अपनी बातों को सामने रखना ही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी बात थी। जो बात बाकी नेता कहने से घबराते थे, वे उन्हें डंके की चोट पर कहते थे। 9 फरवरी को जब राज ठाकरे ने घुसपैठियों के खिलाफ एक मार्च निकाला, तो उनके भाषण में बाला साहेब के विचारों की छाप नज़र आई।
अपनी रैली में राज ठाकरे ने कहा था
“बाहर से ये लोग आते हैं और बम धमाके करते हैं। इन्ही लोगों की वजह से देश में दंगा फसाद होता है। राज ठाकरे ने आगे कहा कि जहां मराठी मुसलमान रहते हैं वहां कभी भी दंगा नहीं देखा गया। अगर घुसपैठिए ज्यादा नाटक करेंगे तो उन्हें उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया जाएगा”।
राजनीति में तो वैसे भी राज ठाकरे बाला साहेब ठाकरे की तरह ही हिन्दुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन दोनों ही नेताओं का व्यक्तित्व भी काफी मिलता जुलता है। इसके अलावा उनकी भाषण देने की शैली और अन्य सभी राजनीतिक गुण भी बाला साहेब ठाकरे से मिलते जुलते हैं। वे बोलते भी बाला साहेब की तरह हैं और उन्हीं की तरह बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटाने में सक्षम हैं। ऐसे समय में जब शिवसेना, कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर अपनी मराठा मानुष की राजनीति को नकारती नज़र आ रही है, ऐसे समय में राज ठाकरे के पास अच्छा मौका है और लगता है राज ठाकरे भली-भांति इस मौके को भुनाना चाह रहे हैं।
महाराष्ट्र! नए हिन्दू हृदय सम्राट को गले लगाने के लिए तैयार हो जाओ
वर्ष 1993 में जब आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की धमकी दी थी, तो स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे ने कहा था
“अगर अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ और यात्रा रोकी गई, तो वो मुंबई से हज के लिए जाने वाली किसी भी उड़ान को उड़ने नहीं देंगे। हज के लिए जाने वाली 99% फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट से जाती हैं, देखते है यहाँ से कोई यात्री हज कैसे जाता है”।
उनके इस बयान के अगले ही दिन अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी थी। हमेशा हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले बाला साहेब के कुछ इसी तरह के बयान ही थे, जिन्होंने उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट बनाया था। वे हमेशा हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए उग्र बयान देने से भी पीछे नहीं हटते थे। वर्ष 2012 में जब उनका निधन हुआ, तभी से महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा खालीपन देखने को मिला है। हालांकि, अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानि MNS प्रमुख राज ठाकरे उनका यह खालीपन भरने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, और शिवसेना के ‘सेकुलरीकरण’ ने उनको एक अच्छा मौका प्रदान किया है।
शिवसेना द्वारा NCP और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद से ही MNS प्रमुख लगातार हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अपने झंडे का रंग बदलकर भगवा करना हो, या फिर हाल ही में बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ एक बड़ी रैली का आयोजन करना हो, उन्होंने कई मौकों पर बाला साहेब की राजनीति के तौर-तरीकों का अनुसरण करने की कोशिश की है।
घुसपैठीयों को लेकर बाला साहेब ठाकरे का भी यही मत था कि इन्हें देश से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। एक बार बाला साहेब ठाकरे ने कहा था
“ये घुसपैठिए ही भारत में धर्म के नाम पर घृणा फैलाते हैं। यही लोग देश में सांप्रदायिक दंगे भी भड़काते हैं। हम क्यों उनका बोझ ढोएं? ये गैरकानूनी तरीके से भारत में घुसने वाले बांग्लादेशी नागरिक ही भारतीय मुस्लिमों की छवि खराब कर रहे हैं। यही विदेशी घुसपैठिए उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं”
बिना किसी हिककिचाहट के अपनी बातों को सामने रखना ही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी बात थी। जो बात बाकी नेता कहने से घबराते थे, वे उन्हें डंके की चोट पर कहते थे। 9 फरवरी को जब राज ठाकरे ने घुसपैठियों के खिलाफ एक मार्च निकाला, तो उनके भाषण में बाला साहेब के विचारों की छाप नज़र आई।
अपनी रैली में राज ठाकरे ने कहा था
“बाहर से ये लोग आते हैं और बम धमाके करते हैं। इन्ही लोगों की वजह से देश में दंगा फसाद होता है। राज ठाकरे ने आगे कहा कि जहां मराठी मुसलमान रहते हैं वहां कभी भी दंगा नहीं देखा गया। अगर घुसपैठिए ज्यादा नाटक करेंगे तो उन्हें उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया जाएगा”।
राजनीति में तो वैसे भी राज ठाकरे बाला साहेब ठाकरे की तरह ही हिन्दुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन दोनों ही नेताओं का व्यक्तित्व भी काफी मिलता जुलता है। इसके अलावा उनकी भाषण देने की शैली और अन्य सभी राजनीतिक गुण भी बाला साहेब ठाकरे से मिलते जुलते हैं। वे बोलते भी बाला साहेब की तरह हैं और उन्हीं की तरह बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटाने में सक्षम हैं। ऐसे समय में जब शिवसेना, कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर अपनी मराठा मानुष की राजनीति को नकारती नज़र आ रही है, ऐसे समय में राज ठाकरे के पास अच्छा मौका है और लगता है राज ठाकरे भली-भांति इस मौके को भुनाना चाह रहे हैं।
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