शरजील के इस बयान से शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के 'टुकड़े-टुकड़े' वाली मानसिकता का पता चलता है। प्रवर्तन निदेशालय भी पीएफआई को विदेश से फंडिंग मिलने की जाँच कर रही है, जिसकी आँच आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह तक जा पहुँची है।
शाहीन बाग़ में सीएए के विरोध के नाम पर चल रहे प्रदर्शन के देशविरोधी गुट से कनेक्शन जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, वैसे-वैसे इस प्रदर्शन को ख़त्म करने के पीछे बहाने ढूँढने की प्रक्रिया तेज हो गई है। अब दारुल उलूम देवबंद ने शाहीन बाग प्रदर्शन खत्म करने की गुजारिश की है। उसने कहा कि सरकार ने एनआरसी न लाने की बात कही है, इसे लोगों को अपनी जीत समझना चाहिए। दारुल उलूम देवबंद के ठंडे पड़े तेवर को शाहीन बाग़ प्रदर्शन पर लगे कई आरोपों से जोड़ कर देखा जा रहा है।
शरजील इमाम के गिरफ़्तार होने के बाद से शाहीन बाग़ विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। शरजील ने महात्मा गाँधी को सबसे बड़ा फासिस्ट नेता बताया था और उत्तर-पूर्व को देश से अलग करने के लिए लोगों को भड़काया था। शरजील के इस बयान से शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के ‘टुकड़े-टुकड़े’ वाली मानसिकता का पता चलता है। प्रवर्तन निदेशालय भी पीएफआई को विदेश से फंडिंग मिलने की जाँच कर रही है, जिसकी आँच आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह तक जा पहुँची है।
हाल ही में उत्तराखंड आंदोलन के संस्थापक स्वामी दर्शन भारती ने आरोप लगाया था कि सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के लिए पीएफआइ व दारुल उलूम को सऊदी अरब से फंडिंग की जा रही है। उनका कहना था कि शाहीन बाग से भी बड़े मॉडयूल भारत में तैयार करने के लिए कई मुस्लिम देशों से फंडिंग की जा रही है। साथ ही उन्होंने देवबंद की तुलना तालिबान से भी की थी। भाजपा विधायक संगीत सोम ने भी शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों को विदेश से फंडिंग मिलने की बात कही थी।
शाहीन बाग़ विरोध प्रदर्शन से वहाँ के लोगों को भी ख़ासी परेशानी हो रही है। एलजी से बातचीत के बाद भी प्रदर्शन ख़त्म नहीं किया गया। अब जब इस प्रदर्शन की एक-एक कर के पोल खुल रही है, तब इन उपद्रवियों के ऊपर बैठे आकाओं में बेचैनी का माहौल है। इसकी बानगी तब भी देखने को मिली थी, जब शाहीन बाग़ के एक धड़ा ख़ुद को शरजील से अलग दिखा रहा था, वहीं दूसरा धड़ा उसका बचाव कर रहा था।
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