दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस में बगावती सुर उठने हैं और पहला हमला किया संदीप दीक्षित ने जो पूर्व सांसद होने के साथ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र भी हैं।
दिल्ली चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कॉन्ग्रेस नेताओं में सिर फुटौव्वल जारी है। लेकिन, पहली बार किसी ने खुलकर शीर्ष नेतृत्व यानी गॉंधी परिवार को चुनौती दी है। ये नेता हैं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित। वे दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। शीला दीक्षित को कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी अक्सर अपनी बड़ी बहन बताती थीं। यहॉं तक कि पिछले साल शीला के निधन के बाद सोनिया ने कहा था कि वे उनके लिए नेता से ज्यादा एक दोस्त थीं।
संदीप के बगावती सुर का कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी समर्थन किया है। थरूर के अनुसार, संदीप दीक्षित ने वही कहा है जो देश भर में मौजूद पार्टी के नेता निजी बातचीत में कहते हैं। उन्होंने, संदीप दीक्षित के साक्षात्कार को शेयर करते हुए ट्वीट लिखा, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।” उन्होंने लिखा, “मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूँ कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराए।”
संदीप दीक्षित ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में पार्टी अध्यक्ष न चुने जाने को लेकर अपना बयान दिया था। उन्होंने कहा कि इतने महीनों के बाद भी कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर सके हैं। इसका कारण यह है कि वह सब यह सोच कर डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे।
पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा कि कॉन्ग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है। अब भी कॉन्ग्रेस में कम से कम 6-8 नेता हैं, जो अध्यक्ष बन कर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभार आप निष्क्रियता चाहते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो
साल 2017 में सोनिया गाँधी ने पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी बेटे राहुल गॉंधी के लिए खाली कर दी थी। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी पराजय के बाद राहुल ने इस्तीफा दे दिया था। शुरुआत में उनकी काफी मान-मनौव्वल की गई थी। लेकिन, इस्तीफा वापस लेने को जब वे तैयार नहीं हुए तो काफी फजीहत के बाद पार्टी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया था। अब ऐसी चर्चा चल रही है कि दोबारा राहुल कि इस पद पर ताजपोशी की जा सकती है।
इस मसले पर साक्षात्कार में संदीप दीक्षित ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से बहुत निराशा हुई है। उन्हें निश्चित तौर पर सामने आना चाहिए। उनमें से ज्यादातर राज्यसभा में हैं, पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, वे बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि उन्हें सामने आकर पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।”
संदीप दीक्षित ने अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, कमलनाथ का नाम लेते हुए कहा कि ये सभी साथ क्यों नहीं आते, बाकी लोगों को भी साथ क्यों नहीं लाते? उनके मुताबिक, “एके एंटनी, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल… इन सभी ने कॉन्ग्रेस के लिए महान काम किया है। ये अब अपने राजनीतिक करियर के ढलान पर हैं। लेकिन उनके (अमरिंदर सिंह, गहलोत, कमलनाथ) के पास शायद और 4-5 साल हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि वे बौद्धिक योगदान दें… वे केंद्र में, राज्यों में या अन्य जगहों पर लीडरशिप की चयन प्रक्रिया में जा सकते हैं।”
दिल्ली चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कॉन्ग्रेस नेताओं में सिर फुटौव्वल जारी है। लेकिन, पहली बार किसी ने खुलकर शीर्ष नेतृत्व यानी गॉंधी परिवार को चुनौती दी है। ये नेता हैं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित। वे दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। शीला दीक्षित को कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी अक्सर अपनी बड़ी बहन बताती थीं। यहॉं तक कि पिछले साल शीला के निधन के बाद सोनिया ने कहा था कि वे उनके लिए नेता से ज्यादा एक दोस्त थीं।
संदीप के बगावती सुर का कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी समर्थन किया है। थरूर के अनुसार, संदीप दीक्षित ने वही कहा है जो देश भर में मौजूद पार्टी के नेता निजी बातचीत में कहते हैं। उन्होंने, संदीप दीक्षित के साक्षात्कार को शेयर करते हुए ट्वीट लिखा, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।” उन्होंने लिखा, “मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूँ कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराए।”
संदीप दीक्षित ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में पार्टी अध्यक्ष न चुने जाने को लेकर अपना बयान दिया था। उन्होंने कहा कि इतने महीनों के बाद भी कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर सके हैं। इसका कारण यह है कि वह सब यह सोच कर डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे।
पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा कि कॉन्ग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है। अब भी कॉन्ग्रेस में कम से कम 6-8 नेता हैं, जो अध्यक्ष बन कर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभार आप निष्क्रियता चाहते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो
साल 2017 में सोनिया गाँधी ने पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी बेटे राहुल गॉंधी के लिए खाली कर दी थी। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी पराजय के बाद राहुल ने इस्तीफा दे दिया था। शुरुआत में उनकी काफी मान-मनौव्वल की गई थी। लेकिन, इस्तीफा वापस लेने को जब वे तैयार नहीं हुए तो काफी फजीहत के बाद पार्टी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया था। अब ऐसी चर्चा चल रही है कि दोबारा राहुल कि इस पद पर ताजपोशी की जा सकती है।
इस मसले पर साक्षात्कार में संदीप दीक्षित ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से बहुत निराशा हुई है। उन्हें निश्चित तौर पर सामने आना चाहिए। उनमें से ज्यादातर राज्यसभा में हैं, पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, वे बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि उन्हें सामने आकर पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।”
संदीप दीक्षित ने अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, कमलनाथ का नाम लेते हुए कहा कि ये सभी साथ क्यों नहीं आते, बाकी लोगों को भी साथ क्यों नहीं लाते? उनके मुताबिक, “एके एंटनी, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल… इन सभी ने कॉन्ग्रेस के लिए महान काम किया है। ये अब अपने राजनीतिक करियर के ढलान पर हैं। लेकिन उनके (अमरिंदर सिंह, गहलोत, कमलनाथ) के पास शायद और 4-5 साल हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि वे बौद्धिक योगदान दें… वे केंद्र में, राज्यों में या अन्य जगहों पर लीडरशिप की चयन प्रक्रिया में जा सकते हैं।”
Comments
Post a Comment