3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत में तेज़ी से इजाफा हुआ और अगले 1 घंटों में ही आँकड़ा 40.51% पहुँच गया। यानी, 1 घंटे में लगभग 12% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब आँकड़े इतनी तेज़ी से बढ़ रहे थे, तब न्यूज़ चैनलों ने एग्जिट पोल्स की तैयारी शुरू कर दी थी।
लगभग सारे एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता दिखाया जा रहा है। हालाँकि, उसकी सीटें पिछली बार से कम ज़रूर होंगी लेकिन एग्जिट पोल्स की मानें तो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एक बार फिर से प्रचंड बहुमत के साथ वापसी कर रहे हैं। हालाँकि, मनोज तिवारी और प्रकाश जावड़ेकर सरीखे भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि एग्जिट पोल्स और अंतिम नतीजों के बीच बड़ा अंतर होगा। आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने ईवीएम गड़बड़ी का राग अलापना शुरू कर दिया है, जिससे पता चलता है कि सत्ताधारी पार्टी भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है।
एग्जिट पोल्स के डेटा में सबसे बड़ी गड़बड़ी ये हुई कि दोपहर 3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत काफ़ी तेज़ी से बढ़ा। जहाँ दोपहर तक ये लग रहा था कि दिल्ली में मतदाता सुस्त होकर बैठे हुए हैं और वो घरों से नहीं निकल रहे हैं, रात तक के आँकड़े उतने ख़राब भी नहीं हुए जितनी आशंका जताई जा रही है। दोपहर 3 बजे तक मात्र 30% वोटर टर्नआउट था। चुनाव आयोग ने 2:50 में जो आँकड़े ट्वीट किए, उसके हिसाब से उस समय तक महज 29.5% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
जैसा कि आज के दौर में हम देखते हैं, टीवी न्यूज़ चैनलों के बीच किसी भी ख़बर को पहले दिखाने के लिए बड़ी प्रतिस्पर्द्धा चलती है और इसके लिए वो हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। लाजिमी है, पहले एग्जिट पोल्स के डेटा दिखाने के लिए भी उनमें होड़ मची होगी। न्यूज़ चैनलों और सर्वे एजेंसियों ने 3-4 बजे तक डेटा कलेक्शन का काम पूरा कर लिया होगा, जिसके बाद उस आधार पर टीवी प्रोग्राम्स की रूपरेखा तय की गई होगी। पूरी प्रक्रिया में समय लगना लाजिमी है क्योंकि आजकल न्यूज़ चैनलों में कुछेक बहस के अलावा बाकि कुछ भी पूर्णरूपेण लाइव नहीं होता।
स्क्रिप्टेड शो के जमाने में टीवी न्यूज़ चैनलों में लगी होड़ के बीच उन्होंने गड़बड़ी कहाँ की, आइए देखते हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध फाइनल आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में 61.75% वोटिंग हुई है। अगर हम मानते हैं कि लगभग 3 बजे तक के डेटा को न्यूज़ चैनलों ने ध्यान में रखा होगा तो इसका अर्थ ये है कि 32.25% मतदाताओं के एक बड़े समूह में से किसी की राय जाने बिना ही एग्जिट पोल्स जारी कर दिए गए।यानी, लगभग एक तिहाई मतदाताओं को एग्जिट पोल्स में नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत में तेज़ी से इजाफा हुआ और अगले 1 घंटों में ही आँकड़ा 40.51% पहुँच गया। यानी, 1 घंटे में लगभग 12% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब आँकड़े इतनी तेज़ी से बढ़ रहे थे, तब न्यूज़ चैनलों ने एग्जिट पोल्स की तैयारी शुरू कर दी थी।
अगर मीडिया ने 4 बजे तक का डेटा लिया होगा, फिर भी 21.24% मतदाताओं में से किसी की राय नहीं जानी गई। यानी, लगभग एक चौथाई मतदाता फिर से एग्जिट पोल्स के दायरे में नहीं आए। कहते हैं, साइलेंट वोटर्स दोपहर के बाद ही निकलते हैं। ये वोटर अगर भाजपा के हुए तो? क्या एग्जिट पोल्स के परिणाम एकदम से नहीं पलट जाएँगे?
लगभग सारे एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता दिखाया जा रहा है। हालाँकि, उसकी सीटें पिछली बार से कम ज़रूर होंगी लेकिन एग्जिट पोल्स की मानें तो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एक बार फिर से प्रचंड बहुमत के साथ वापसी कर रहे हैं। हालाँकि, मनोज तिवारी और प्रकाश जावड़ेकर सरीखे भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि एग्जिट पोल्स और अंतिम नतीजों के बीच बड़ा अंतर होगा। आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने ईवीएम गड़बड़ी का राग अलापना शुरू कर दिया है, जिससे पता चलता है कि सत्ताधारी पार्टी भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है।
एग्जिट पोल्स के डेटा में सबसे बड़ी गड़बड़ी ये हुई कि दोपहर 3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत काफ़ी तेज़ी से बढ़ा। जहाँ दोपहर तक ये लग रहा था कि दिल्ली में मतदाता सुस्त होकर बैठे हुए हैं और वो घरों से नहीं निकल रहे हैं, रात तक के आँकड़े उतने ख़राब भी नहीं हुए जितनी आशंका जताई जा रही है। दोपहर 3 बजे तक मात्र 30% वोटर टर्नआउट था। चुनाव आयोग ने 2:50 में जो आँकड़े ट्वीट किए, उसके हिसाब से उस समय तक महज 29.5% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
जैसा कि आज के दौर में हम देखते हैं, टीवी न्यूज़ चैनलों के बीच किसी भी ख़बर को पहले दिखाने के लिए बड़ी प्रतिस्पर्द्धा चलती है और इसके लिए वो हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। लाजिमी है, पहले एग्जिट पोल्स के डेटा दिखाने के लिए भी उनमें होड़ मची होगी। न्यूज़ चैनलों और सर्वे एजेंसियों ने 3-4 बजे तक डेटा कलेक्शन का काम पूरा कर लिया होगा, जिसके बाद उस आधार पर टीवी प्रोग्राम्स की रूपरेखा तय की गई होगी। पूरी प्रक्रिया में समय लगना लाजिमी है क्योंकि आजकल न्यूज़ चैनलों में कुछेक बहस के अलावा बाकि कुछ भी पूर्णरूपेण लाइव नहीं होता।
स्क्रिप्टेड शो के जमाने में टीवी न्यूज़ चैनलों में लगी होड़ के बीच उन्होंने गड़बड़ी कहाँ की, आइए देखते हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध फाइनल आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में 61.75% वोटिंग हुई है। अगर हम मानते हैं कि लगभग 3 बजे तक के डेटा को न्यूज़ चैनलों ने ध्यान में रखा होगा तो इसका अर्थ ये है कि 32.25% मतदाताओं के एक बड़े समूह में से किसी की राय जाने बिना ही एग्जिट पोल्स जारी कर दिए गए।यानी, लगभग एक तिहाई मतदाताओं को एग्जिट पोल्स में नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत में तेज़ी से इजाफा हुआ और अगले 1 घंटों में ही आँकड़ा 40.51% पहुँच गया। यानी, 1 घंटे में लगभग 12% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब आँकड़े इतनी तेज़ी से बढ़ रहे थे, तब न्यूज़ चैनलों ने एग्जिट पोल्स की तैयारी शुरू कर दी थी।
अगर मीडिया ने 4 बजे तक का डेटा लिया होगा, फिर भी 21.24% मतदाताओं में से किसी की राय नहीं जानी गई। यानी, लगभग एक चौथाई मतदाता फिर से एग्जिट पोल्स के दायरे में नहीं आए। कहते हैं, साइलेंट वोटर्स दोपहर के बाद ही निकलते हैं। ये वोटर अगर भाजपा के हुए तो? क्या एग्जिट पोल्स के परिणाम एकदम से नहीं पलट जाएँगे?
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